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वर्णमाला के भेद

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Topic ► 【वर्ण माला】 ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ नमस्कार दोस्तों  वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं। इसमें 52 वर्ण होते हैं और 11 स्वर होते हैं। मूल व्यंजनों की संख्या 33 होती है जबकि कुल व्यंजन 52 होते हैं। दो उच्छिप्त व्यंजन , चार सयुंक्त व्यंजन एवं दो अयोगवाह होते हैं। वर्णमाला के भेद -  वर्णमाला को मुख्य रूप से दो भागो में बाँटा गया है :  ( 1) स्वर (Swar) (2) व्यंजन (Vyanjan) स्वर (Vowels) स्वर तीन प्रकार के होते हैं। (i) ह्स्व स्वर (लघु स्वर)  (ii) दीर्घ स्वर  (iii) प्लुत स्वर  ( i) ह्स्व स्वर - लघु स्वर ऐसे स्वर जिनको बोलने में कम समय लगता है उनको ह्स्व स्वर (Hsv Swar) कहते हैं। इनकी संख्या 4 होती हैं। अ, इ, उ, ऋ  (ii) दीर्घ स्वर ऐसे स्वर जिनको बोलने में अधिक समय लगता है उनको दीर्घ स्वर (Dirgh Swar) कहते हैं। इनकी संख्या 7 होती है। आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ  (iii) प्लुत स्वर अयोगवाह (Ayogvah) यह दो होते हैं। अं, अः अं को अनुस्वार कहते हैं अ: को विसर्ग कहते हैं व्यंजन (Consonants) जिन वर्णों का उच्चारण स्वर की सहायता से होता है उन्हें व्यंजन कहते हैं। ये पाँच प्रकार के होते हैं। (i) स्पर

Mathe Teaching Method & परिभाषा

परिभाषा & Method

नमस्कार दोस्तों


Mathematics की अनेक परिभाषाए होती है, कोई गणित को गणनाओं का विज्ञान कहता है, कोई संख्याओं तथा स्थान के रूप में परिभाषित करता है !
गणित शिक्षण से बहुत से प्रश्न परीक्षा में पूछे जाते है !

गणित में भी हम चिंतन का सामना करते हैं। बगैर चिंतन के गणित को हल करना या गणित के क्षेत्र में आगे बढ़ना असंभव है। गणित विषय के प्रभावशाली शिक्षण के लिए उसके उद्देश्यों का ज्ञान अति आवश्यक है। 

जिस तरह से शिक्षक शिक्षार्थी को ज्ञान प्रधान करता है उसे शिक्षण विधि (teaching methods) कहते हैं  गणित एक अनिवार्य विषय बन गया है. हमें छोटी कक्षाओं से ही अंको का ज्ञान कराया जाता है इसका प्रयोग बहुत व्यापक अर्थ में होता है, एक और तो इसके अंतर्गत कई प्रणालियां एवं योजनाओं को शामिल किया जाता है तथा दूसरी ओर शिक्षण की बहुत सी प्रक्रियाएं भी शामिल कर ली जाती है. कभी-कभी लोग युक्तियों को भी विधि मान लेते हैं; परंतु ऐसा करना भूल है। युक्तियाँ किसी विधि का अंग हो सकती हैं, संपूर्ण विधि नहीं।

(1) विश्लेषण विधि( Analytics method)

(2) संश्लेषण विधि(Synthesis method)

(3) आगमन विधि(Inductive method)

(4) निगमन विधि(Deductive Method)

(5) प्रयोगशाला विधि (Laboratory method)

(6) अनुसंधान विधि (Heuristic method)

(7) समस्या- समाधान विधि (Problem- solving method )

(8) प्रायोजना विधि (Project method)

(9) व्याख्यान विधि( Lecture method)

(10) खेल विधि (Play Way method)

1.विश्लेषण विधि -

इस विधि में हम अज्ञात से ज्ञात की ओर जाते हैं। Ex- सिद्ध करे कि त्रिभुज के तीनों कोणों का योग दो समकोण ओं के बराबर होता है।

इसका प्रयोग रेखा गणित प्रमेय को सिद्ध करने के लिए होता है।

गुण -

स्वयं समस्या का समाधान करने, हल खोजने पर बल देती है ,स्थाई ज्ञान उत्पन्न होता है।

 2.यह मनोविज्ञान विधि है जो बालक में अध्ययन के प्रति रुचि उत्पन्न करती है। 

3. खोज करने की क्षमता( अन्वेषण क्षमता) का विकास होता है। 

दोष -

अधिक समय लगता है। छोटी कक्षा के बालकों के लिए अनुपयोगी मानी जाती है। कुशल अध्यापक की आवश्यकता होती है। तर्कशक्ति की जरूरत होती है। 

2.संश्लेषण विधि -

यह विधि विश्लेषण विधि का पूरक है इस विधि में ज्ञात से अज्ञात की ओर जाते हैं छोटे-छोटे खंडों से प्राप्त जानकारी को जोड़ कर( संश्लेषण) प्रयोग किया जाता है

Ex- A = B ( ज्ञात)

B = C ( ज्ञात)

अतः A=C अर्थात ज्ञात बातों का प्रयोग करके अज्ञात की खोज की जाती है। निदानात्मक एवं उपचारात्मक शिक्षण

गुण -

यह विधि सरल, सूक्ष्म और क्रम क्रमबद्ध है। समस्या का हल जल्दी निकलता है अर्थात कम समय लेती है। स्मरण शक्ति के विकास में मदद करती है। 

मंद बुद्धि वाले छात्रों के लिए यह उपयोगी विधि है। ज्यादातर गणितीय समस्याएं इस विधि से ही हल की जाती है।  

दोष (Disadvantage):

रटने की प्रव्रति पर बल देती है।अन्वेषण क्षमता( खोज करने) का विकास नहीं हो पाता है।अर्जित ज्ञान आस्थाई होता है।यह विकास में सहयोग नहीं करती है तार्किक क्षमता और चिंतन रहित विधि है। 

3.आगमन विधि (Inductive method):

इस विधि में पहले छात्रों के सामने उदाहरण रखे जाते हैं फिर उन के आधार पर नियम बनाए जाते हैं। 

इस विधि में तीन कार्य किए जाते हैं। 

1. विशिष्ट से सामान्य की ओर। 

2. ज्ञात से अज्ञात की ओर। 

 3. स्थूल से सूक्ष्म की ओर। 

गुण -

यह एक वैज्ञानिक विधि है। स्वयं से कार्य करने के कारण अधिक स्थाई अधिगम होता है। 

व्यावहारिक और जीवन में लाभप्रद विधि है। इसके द्वारा बालक में स्वयं कार्य करने की क्षमता का विकास होता है बालक सदैव जिज्ञासु रहता है। यह छोटी कक्षाओं के लिए उपयोगी विधि है। इसके द्वारा बालक में गणित के प्रति रुचि बनी रहती है। 

दोष -

यह धीमी विधि है समय अधिक लगता है। अधिक परिश्रम करना पड़ता है अधिक सोच की आवश्यकता होती है।परिणाम पूर्णता सत्य नहीं होते हैं कई बार छात्र गलत निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं। इस विधि का कक्षा में सदैव प्रयोग नहीं किया जा सकता। 

4.निगमन विधि -

यह विधि आगमन विधि के विपरीत है इस विधि में पहले परिभाषा, सूत्र एवं निर्देश को बता दिया जाता है, फिर उसे सत्य सिद्ध किया जाता है। इसमें नियम से उदाहरण की ओर चलते हैं। 

सामान्य से विशेष की ओर। 

सूक्ष्म से स्थूल की ओर। 

गुण -

यह विधि गणित शिक्षण कार्य को अत्यंत सरल बना देती है। इस विधि से छात्र अत्यंत सरल तावा शीघ्रता से ज्ञान प्राप्त करता है। 

अंक गणित एवं बीजगणित शिक्षण में निगमन विधि सहायक सिद्ध होती है। कम परिश्रम एवं समय की बचत होती है। स्मरण शक्ति का विकास होता है। 

दोष -

यह अमोवैज्ञानिक विधि है क्योंकि इसमें छात्र नियमों व सूत्रों की खोज स्वयं नहीं करते बल्कि उन्हें याद करते हैं। इसमें मिलने वाला ज्ञान आई स्थाई भाव स्पष्ट होता है। 

5.प्रयोगशाला विधि -

इस विधि में छात्र स्वयं गणित की प्रयोगशाला में यंत्रों, उपकरणों तथा अन्य सामग्री कि मदद से गणित के, तथ्य नियमों बा सिद्धांतों की सत्यता की जांच करते हैं . इस विधि में करके सीखने के सिद्धांत पर बल दिया जाता है।

 ex . पाइथागोरस प्रमेय को प्रयोगशाला में सिद्ध करना। 

गुण -

छात्र प्रयोगशाला के उपकरणओं का कुशल प्रयोग करना सीखते हैं। प्रयोगशाला में किया गया अधिगम स्थाई होता है। रुचिकर विधि है। तर्क क्षमता का विकास होता है। 

दोष -

यह खर्चीली विधि है।

यह छोटी कक्षाओं के लिए उपयोगी नहीं है क्योंकि बच्चे उपकरण से सीखने की जगह खेलना शुरूकर देते हैं।कम संख्या वाली कक्षाओं के लिए उपयोग में लाई जा सकती है।

6.अनुसंधान विधि -

Heuristic शब्द एक ग्रीक Heurisco शब्द से आया है जिसका अर्थ है ‘मैं खोजता हूं’ आर्मस्ट्रांग ने इस विधि की खोज की थी।

Heuristic शब्द से स्पष्ट है कि यह विधि स्वयं खोज करके या अपने आप सीखने की विधि है । इस विधि का प्रयोग विज्ञान के लिए भी किया जाता है। इस विधि में शिक्षक किसी विषय वस्तु के बारे में सीधे-सीधे नहीं बताता है, बल्कि प्रश्नों द्वारा छात्रों को स्वयं खोजने को कहता है. इस विधि में छात्र निष्क्रिय रोता मात्र ना रहकर स्वयं अन्वेषण या अविष्कारक बन जाते हैं।

गुण -

इस विधि द्वारा छात्र में तर्क करने, कल्पना, चिंतन, निरीक्षण, तुलना आदि विकास होता है।गणित शिक्षण में यह विधि बहुत लाभदायक सिद्ध होती है। यह विधि छात्र को ज्ञान की खोज करने की स्थिति में रखती है। 

यह विधि छात्रों को स्वयं गणित कार्य करने हेतु प्रेरित करती है और स्वाध्याय की आदत का निर्माण कर आती है। इसमें छात्र स्वयं अन्वेषण बन जाता है। 

दोष -

यदि केवल असाधारण, बुद्धि वाले छात्रों के लिए उपयोगी है, क्योंकि साधारण बुद्धि वाले छात्र स्वयं अन्वेषण नहीं कर पाते। यह विधि छोटी कक्षाओं के लिए अनुपयोगी है। 

यह विधि छात्रों को गलत नियम निष्कर्ष अथवा सिद्धांतों पर पहुंचा सकती है क्योंकि उनका मस्तिष्क इतना परिपक्व नहीं होता की वे अपनी गलती को समझ पाए। 

7. समस्या- समाधान विधि -

(जॉन डीवी):

इस विधि में शिक्षक छात्रों के सामने एक समस्या रखता है,और छात्रों को समस्या को हल करने के लिए अपने विचार व सुझाव रखने को बोलता है । छात्र अपने तर्क एवं निर्णय से उस समस्या को सुलझाने का प्रयास करते हैं समस्या बालक के जीवन से संबंधित होनी चाहिए। इस विधि में समस्या सरल होती है. यह विधि करके सीखने के सिद्धांत पर कार्य करती है।

गुण -

यह विधि वैज्ञानिक ढंग से आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।इस विधि में छात्र सदैव क्रियाशील रहता है। इस विधि में छात्र स्वतंत्र होकर स्वयं कार्य करने करते हैं छात्रों की तर्क शक्ति का विकास होता है। छात्रों में समस्या समाधान की योग्यता का विकास होता है। 

दोष - 

यदि समस्या कठिन हो तो छात्र में विषय के प्रति रुझान कम हो जाता हैयदि समस्या की भाषा सरल ना हो तो छात्रों की सूची में कमी आ जाती है समय अधिक लगता है

8. प्रयोजन विधि -

इस विधि का प्रयोग सर्वप्रथम किलपैट्रिक ने किया इस विधि में संपूर्ण कार्य को योजना बनाकर किया जाता है इसमें किसी भी समस्या के समाधान के लिए छात्र स्वयंं अपनी तर्कशक्ति के द्वारा कार्य करता है तथा हल हो जाता है

गुण -

छात्र में क्रियात्मक और सृजनात्मक शक्ति का विकास होता है छात्रों में निरीक्षण, तर्क तथा निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है

दोष  - इस के प्रयोग से सभी पाठों को नहीं पढ़ाया जा सकता

9.व्याख्यान विधि

यह शिक्षण की सबसे प्रचलित विधि है इस विधि में एक शिक्षक किसी विषय या समस्या के बारे में व्याख्यान देता है व्याख्यान तर्क पूर्ण, व्यवस्थित तथा आकर्षित होना चाहिए ताकि छात्र का ध्यान विषय पर केंद्रित रहे इस विधि में प्रश्न उत्तर तथा उदाहरणों का प्रयोग किया जाता है

 गुण( Advantage):

यह किसी विषय को पढ़ने की सबसे सरल विधि है. इसमें छात्रों का ध्यान विषय पर केंद्रित रहता है। 

दोष (Disadvantage):

इस विधि में छात्र निष्क्रिय रहता है। यह विधि करके सीखने पर बल नहीं देती है। इसमें Individual Differences पर ध्यान नहीं दिया जाताहै। 

10.खेल विधि (Play Way method):

इस विधि में शिक्षक छात्रों को संपूर्ण ज्ञान खेल के माध्यम से देता है इस विधि को फ्रोबेल ने दिया है इसका नाम हेनरी कोल्डवेल कुक ने रखा इस विधि में शिक्षा को पूर्ण रूप से खेल केंद्रित बनाने का प्रयास किया गया है छात्रों की खेल में स्वाभाविक रुचि होती है तो बच्चों का मन लगा रहता है।इस विधि द्वारा बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। यह विधि करो और शिखा के सिद्धांत पर आधारित है। 

दोष  -

कुछ बच्चों में शारीरिक शिथिलता के कारण इस विधि में कठिनाई आती है।

किस विधि में अज्ञात से ज्ञात की ओर बढ़ा जाता है। – निगमन विधि में

व्रत की परिधि तथा व्यास में संबंध ज्ञात करने का उदाहरण किस विधि के अंतर्गत आता है। – विश्लेषण विधि के अंतर्गत

“ संश्लेषण विधि द्वारा सूखी घास से तिनका निकाला जा सकता है, परंतु विश्लेषण विधि में स्वयं तिनका घर से बाहर निकलना चाहता है” यह कथन किसका है। – प्रोफेसर युग

ह्यूरिस्टिक विधि का केंद्रीय सिद्धांत क्या है। – स्वयं करके सीखना

अधिगम प्रतिफल का क्या तात्पर्य है। – बालक के व्यवहार में होने वाला परिवर्तन

किस विधि में अर्जित ज्ञान स्थाई नहीं होता है। – आगमन विधि में

उच्च कक्षाओं में गणित की कौन सी शिक्षण विधि ज्यादा लाभदायक होती है। – निगमन विधि

गणित की सर्वाधिक प्राचीन शाखा क्या है। – अंकगणित

वह विधि कौन सी है जिसमें उदाहरणों द्वारा नए नियमों की स्थापना की जाती है। – आगमन विधि

गणित शिक्षण की कौन सी विधि तार्किक प्रतिपादन की विधि है। – विश्लेषण विधि

#गणित की महत्वपूर्ण परिभाषाएं (Important Maths Pedagogy Definition)

“गणित सभी विज्ञानों का प्रवेश द्वार एवं कुंजी है” बैकन( रोजर)

” गणित संस्कृति का दर्पण है” या “गणित सभ्यता का दर्पण है” हॉग बैन

” तार्किक चिंतन के लिए गणित एक शक्तिशाली साधन है” बनार्ड शा

” गणित क्या है, यह उस मानव चिंतन का प्रतिफल है, जो अनुभवों से स्वतंत्र तथा सत्य के अनुरूप है” – आइंस्टीन

” गणित एक विज्ञान है जिसकी सहायता से आवश्यक निष्कर्ष निकाले जाते हैं” – बेंजामिन पीयर्स

“यदिविज्ञान की रीड की हड्डी गणित हटा दी जाए तो संपूर्ण भौतिक संबद्धता निसंदेह नष्ट हो जाएगी” यंग

“गणित वह भाषा है जिसमें परमेश्वर ने संपूर्ण जगत वाह ब्रह्मांड को लिख दिया है” गैलीलियो

” गणित, विज्ञान की रानी है” – गॉस ने 

“गणित भौतिक विज्ञान कि भाषा हैऔर निश्चय ही इसे शानदार भाषा मनुष्य के मस्तिष्क मेंइससे पूर्व पैदा नहीं हुई थी” – लिंडसे

“गणित की उन्नति तथा वृद्धि देश की संपन्नता से संबंधित है” – नेपोलियन

” गणित तर्क सम्मत विचार है यथार्थ कथन तथा सत्य बोलने की शक्ति प्रदान करता है” – डटन

” संगीतमानव की अचेतन मन का अंकगणित की संख्याओं से संबंधित एक आधुनिक सुप्त व्यायाम है” – लैबनिज़

“सारा वैज्ञानिक ज्ञान जो बिना गणित के आरंभ होता है झूठा है, दोषपूर्ण है” – कॉमेंट महोदय

“गणित एक ऐसा विषय है जो मानसिक शक्तियों को प्रशिक्षित करने का अवसर प्रदान करता है तथा एकशुद्ध आत्मा में चेतना एवं नवीन जागृति उत्पन्न करने का कौशल गणित में प्रदान करता है” – प्लेटो

” गणित भौतिक विज्ञान का एक आवश्यक उपकरण है” – बायलॉट

“सभी छात्रों को प्रथम 10 वर्ष तक गणित पढ़ाई जानी चाहिए” – कोठारी आयोग ने

“गणित सभी विषयों में से श्रेष्ठ उपयोगी है” – प्लेटो

https://exam123guruji.blogspot.com/2021/10/environment-important-mcq-test.html


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धन्यवाद ।




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