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वर्णमाला के भेद

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Topic ► 【वर्ण माला】 ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ नमस्कार दोस्तों  वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं। इसमें 52 वर्ण होते हैं और 11 स्वर होते हैं। मूल व्यंजनों की संख्या 33 होती है जबकि कुल व्यंजन 52 होते हैं। दो उच्छिप्त व्यंजन , चार सयुंक्त व्यंजन एवं दो अयोगवाह होते हैं। वर्णमाला के भेद -  वर्णमाला को मुख्य रूप से दो भागो में बाँटा गया है :  ( 1) स्वर (Swar) (2) व्यंजन (Vyanjan) स्वर (Vowels) स्वर तीन प्रकार के होते हैं। (i) ह्स्व स्वर (लघु स्वर)  (ii) दीर्घ स्वर  (iii) प्लुत स्वर  ( i) ह्स्व स्वर - लघु स्वर ऐसे स्वर जिनको बोलने में कम समय लगता है उनको ह्स्व स्वर (Hsv Swar) कहते हैं। इनकी संख्या 4 होती हैं। अ, इ, उ, ऋ  (ii) दीर्घ स्वर ऐसे स्वर जिनको बोलने में अधिक समय लगता है उनको दीर्घ स्वर (Dirgh Swar) कहते हैं। इनकी संख्या 7 होती है। आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ  (iii) प्लुत स्वर अयोगवाह (Ayogvah) यह दो होते हैं। अं, अः अं को अनुस्वार कहते हैं अ: को विसर्ग कहते हैं व्यंजन (Consonants) जिन वर्णों का उच्चारण स्वर की सहायता से होता है उन्हें व्यंजन कहते हैं। ये पाँच प्रकार के होते हैं। (i) स्पर

महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान की अनोखी अनसुनी दास्तां

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पृथ्वीराज चौहान दिल्ली का हिन्दू सम्राट, है जिसकी अनोखी प्रेम कहानी ने हिन्दुस्तान के इतिहास को अमर कर दिया । https://t.me/fornk नमस्कर दोस्तों  पृथ्वीराज चौहान कहा जाता है चौहान वंश के राजा थे। चौहान वंश के क्षत्रिय शासक सोमेश्वर और कर्पूरा देवी के घर साल 1149 में जन्में थे। उन्होंने राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से पर भी नियन्त्रण किया। हालाँकि मध्ययुग में भारत के राजनीतिक केंद्र दिल्ली के राजा के रूप में वर्णित किया है। उनके माता-पिता की शादी के कई सालों बाद काफी पूजा-पाठ और मन्नत मांगने के बाद जन्में थे। सन 1166 मे महाराज अंगपाल की मृत्यु के पश्चात पृथ्वीराज चौहान दिल्ली की गद्दी को संभाला और उन्हे दिल्ली का कार्यभार सौपा गया। पृथ्वीराज ने कई पड़ोसी हिन्दू राज्यों के खिलाफ़ सैन्य सफलता हासिल की।  पृथ्वीराज सरस्वती कण्ठाभरण विद्यापीठ से शिक्षा प्राप्त की। जबकि युद्ध और शस्त्र विद्या की शिक्षा अपने गुरु जी श्री राम जी से प्राप्त की। पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही बेहद साहसी, वीर, बहादुर, पराक्रमी और युद्ध कला में निपुण रहे। पृथ्वीराज की सेना बहु